मंगलवार, अक्तूबर 19, 2021

'कल्लू मामा'का 'आगमन'की ओर से सम्मानU




गत रविवार, दिनाँक 17-10-2021 को,रोहिणी:दिल्ली के'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' सभागार में,साहित्यिक संस्था'आगमन'की ओर से वरिष्ठ व चर्चित व्यंग्यकार श्री सुभाष चंदर उर्फ 'कल्लू मामा'को विशिष्ट सम्मान दिया गया।सुभाष चंदर की अभी तक,व्यंग्य साहित्य की 47 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।'कल्लू मामा जिंदाबाद' भी उनके चर्चित व्यंग्यात्मक लेखों का संग्रह है।उनकी प्रसिद्धि का आलम यह है कि, अब लोग उन्हें'कल्लू मामा'के नाम से बुलाने लगे हैं।उन्हें संस्था की 'काव्य-संगोष्ठी'में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के संस्थापक-सुधाकर पाठक ने की।विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार श्री सुमोद सिंह चरौरा,श्रीमती सूक्ष्मलता महाजन,श्री अशोक गुप्ता, डॉ महेंद्र शर्मा'मधुकर' व डॉ नीलम वर्मा मौजूद थे।
कॅरोना-काल के उपरांत, आगमन की इस काव्य-संगोष्ठी में,राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा उसके आस-पास के राज्यों से पधारे 30 से भी अधिक कवि व कवयित्रियों ने अपनी श्रृंगार,राष्ट्र-प्रेम व हास्य-व्यंग्य से ओत प्रोत कवितायें पढ़ी।कविता पाठ करने वालों में शामिल थे-स्वीट एंजेल, मनीषा जोशी,इंदु निगम, राजेन्द्र निगम,तरुणा पुंडीर, इंदु मिश्रा, मीनाक्षी भसीन,डॉ महेंद्र शर्मा मधुकर, सीमा अग्रवाल, सरोज शर्मा,डॉ पूजा कौशिक,कंचन पाठक,पंकज सिंह चावला,कंचन गुप्ता,बी.के.शोभा,अजय अक्स,,कमर बदरपुरी,भास्कर आनंद, दीपा गुप्ता, अमित गुप्ता, राजेन्द्र महाजन,स्वदेश सिंह चिरोरा, शिव नारायण,अवधेश कनोजिया, आकांक्षा, भारती विभूति ओमप्रकाश कल्याणे, सुंदर सिंह,सीमा सागर,विनोद पाराशर व कई अन्य कवि व कवयित्रियाँ।
मुख्य अतिथि श्री सुभाष चंदर को वैसे तो हम एक व्यंग्यकार के रूप में ही जानते हैं, लेकिन इस काव्य-संगोष्ठी में संवेदनशील कवि के रूप में भी उन्हें देखने का मौका मिला।
अपनी'बूढे लोग!' कविता में वरिष्ठ जनों के एकाकीपन की पीड़ा को,उन्होंने जिस मार्मिकता से व्यक्त किया , उसे सहज ही समझा जा सकता है।उनकी कविता की पंक्तियाँ थी-
बूढ़े लोग!
आत्महत्या तो कर सकते हैं
लेकिन-प्रेम नहीं कर सकते!
'प्रेम'उनके लिए
एक अश्लील कृत्य है!
कविता पाठ के अलावा, इस अवसर पर डॉ महिंदर मधुकर, इंदू मिश्रा किरण, डॉ पूजा कौशिक की पुस्तकों व सूक्ष्मलता महाजन के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केन्दित पत्रिका'ट्रू मीडिया'के विशेषांक का भी लोकार्पण किया गया।
लगभग 3-4 घन्टे तक चले,इस कार्यक्रम का कुशल संचालन कंचन पाठक ने किया।'आगामन' के संस्थापक श्री पवन जैन पिछले कई वर्षों से, वरिष्ठ कवियों व नवांकुरों को इस संस्था के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान कर रहे हैं,जो एक पुनीत कार्य है।धन कमाने की अंधी दौड़ में, जहाँ कुछ भी निःशुल्क मिल पाना लगभग असंभव है,वहीं पर सुधाकर पाठक जैसे साहित्य-प्रेमी व जुनूनी लोग, साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए,'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' की ओर से निःशुल्क स्थान उपलब्ध करवा रहे हैं।सभी साहित्यकारों की ओर से ऐसी महान विभूतियों को नमन है।


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