शनिवार, मई 17, 2014

फेस-बुक मैत्री संगोष्ठी-2014

फेस-बुक तकनीक का उच्चतम शिखर है। यह एक ऐसी खिड़की है जिससे विश्वदर्शन किये जा सकते हैं। अब खिड़की है तो ताजी हवा,धूप के साथ-साथ,धूल,मिट्टी भी आयेगी ही।यदि विवेक से काम लेकर इस खिड़की पर पर्दा लगा लें,तो अनावश्यक कूड़े-कचरे से बचा जा सकता है।’-ये विचार राष्ट्र किंकर के संपादक श्री विनोद बब्बर जी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दिल्ली नांगलोई में दिनांक 14-05-2014 को आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किये।
‘फेस-बुक-मैत्री-संगोष्ठी-2014’ का आयोजन-’हम सब साथ-साथ ,’प्रथम क्रिएशन व ’सुरभि’ के सौजन्य से किया गया। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आये लगभग 40 से अधिक फेस-बुक के माध्यम से जुड़े मित्रों ने अपने अपने अनुभवों को साझा किया। फेस-बुक से जुडे खट्टे-मीठे अनुभवों को लेकर एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी,जिनमें से पाँच अनुभवों को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वाले मित्र थे:-
1.संजना तिवारी(आध्र-प्रदेश)
2.पूनम माटिया
3.राम.के.भारद्वाज
4.निवेदिता मिश्रा
5.जगत(दतिया)

इसके अलावा अन्य  लगभग 25 फेस-बुक मित्रों को फेस-बुक पर अपनी सक्रियता बनाये रखने के लिए सह-भागिता प्रमाण-पत्र भी वितरित किये गये। इस अवसर पर व्यंग्य कविता में सुपरिचित हस्ताक्षर डा.सरोजनी प्रीतम, गजलकार विजय गुरदासपुरी,फिल्म व धारावाहिक लेखिका श्रीमती  रेखा बब्बल भी उपस्थित थी। डा.सरोजनी प्रीतम ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-व्यक्ति युवा मन से होता है। कवि हमेशा युवा रहता है। हमारा शब्दों का खेल है।मैंने हमेशा शब्दों से खिलवाड़ किया है उन्होंने इस अवसर पर अपनी व्यंग्य कविता पढी-
लो भी
लो भी
जब ले लिया
तो कहते हैं

लोभी।


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