गुरुवार, जून 09, 2011

एक पत्र जाति प्रथा के नाम

आदरणीय जाति प्रथा

सादर बाँटस्ते

आज की परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए आपको यह पत्र लिख रहा हूँ. ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में विराट द्वारा आपकी उत्पति की गयी थी. जिसमें कहा गया था की ब्राम्हण परम-पुरुष के मुख से, क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जंघाओं से तथा शूद्र उनके पैरों उत्पन्न हुए थे तथा इन सभी के कार्य भी क्रमश शिक्षा देना, युद्ध करना, खेती करना तथा चौथे वर्ण का कार्य तीनों वर्णों की सेवा करना था. सही मायने में देखा जाए तो आर्यों ने ऋग्वेदिक काल में सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यों का वैज्ञानिक आधार पर...आगे पढ़ें