सोमवार, जून 20, 2022

प्रेम जनमेजय को पंडित माधव राव स्प्रे छत्तीसगढ़ मित्र साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान!



 

साहित्य व विचार पर केंद्रित मासिक पत्रिका'छत्तीसगढ़-मित्र' एवं हिंदुस्तानी भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित स्वयंसेवी संस्था'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' के संयुक्त प्रयास से,दिल्ली के हिंदी भवन में,कल दिनाँक 19-06-2022 को,एक कार्यक्रम किया गया।यह कार्यक्रम-'छत्तीसगढ़ मित्र' के संस्थापक संपादक पंडित माधव राव स्प्रे की 150वीं जयंती के समापन पर किया गया।
इस अवसर पर,साहित्य की व्यंग्य विधा को समर्पित त्रैमासिक पत्रिका'व्यंग्य यात्रा ' को'पंडित माधवराज स्प्रे छत्तीसगढ़ मित्र साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान'से नवाजा गया। 'व्यंग्य यात्रा'की ओर से,यह सम्मान स्वीकार करते हुए पत्रिका के संपादक-प्रेम-जनमेजय ने कहा कि-यह इस पत्रिका के सहयात्रियों और शुभचिंतकों की शुभकामनाओं का फल है। इस समारोह में-ममता कालिया, प्रदीप ठाकुर त्रिलोक दीप ,सुशील त्रिवेदी, अशोक माहेश्वरी, अभिषेक अवस्थी गिरीश पंकज, सुधीर शर्मा, सुधाकर पाठक, तृषा शर्मा जैसे वरिष्ठ साहित्यकार, कवि,लेखक, पत्रकार,भाषाविद व साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
   प्रेम जनमेजय ने,उपस्थित सभी साहित्यिक मित्रों का आभार प्रकट करते हुए,यह भी कहा कि  यह सम्मान उनका नहीं, व्यंग्य यात्रा के सभी शुभचिंतकों का है। यह सम्मान एक भिक्षुक का सम्मान है।इस अवसर पर,'हिंदी भाषा पर केंदित,उनकी पुस्तक  'हिंदी का राष्ट्र और राष्ट्र की हिंदी' का भी लोकार्पण किया गया।
इतिहास, संस्कृति, भाषा, साहित्य, शिक्षा और समाज के संदर्भ में 'भारतीयता और विश्वबोध' को लेकर,एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन इस अवसर पर  किया गया था,जिसमें,अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे।
मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित-वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि-भारतीय संस्कृति,भाषा, राष्ट्रीय चेतना को जगाने में,जिन महान विभूतियों का सबसे ज्यादा योगदान रहा उनमें, महात्मा गांधी, महावीर प्रसार द्विवेदी और पंडित माधवराव राव स्प्रे का नाम मुख्य रूप से लिया जा सकता है। माधवराव जी ने वर्ष-1900 में'छत्तीसगढ़ मित्र' की शुरुआत की,जब न तो देश स्वतंत्र था और न ही प्रकाशन की आज जैसी सुविधाएं थीं।पत्रिका के संपादक होने के नाते,उसके लिए सामग्री जुटाना, कितना कठिन रहा होगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुदीप ठाकुर ने कहा कि स्प्रे जी का जीवन केवल 55 वर्ष का था,लेकिन अपने इस छोटे से जीवनकाल में भी पत्रकारिता व भाषा के क्षेत्र में  उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया।डॉ मैनेजर पांडेय ने उनके उनके लेखन पर अद्भुत कार्य किया है।
डॉ सुशील त्रिवेदी का कहना था कि पंडित माधवराव स्प्रे जी ने धर्म,अध्यात्म और विचारधारा से आगे जाकर,भारत को विश्वबोध करवाया। गिरीश पंकज ने कहा की भारतीयता में,वसुधैव कुटुम्बकम की भावना पहले से ही समाहित है।आज कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग,भारतीयता की इस भावना को आहत कर रहे हैं।इनसे हमें सावधान रहने की आवश्यकता है।
'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी' के अध्यक्ष सुधाकर पांडेय ने कहा कि कोई भी भाषा केवल विचारों का आदान प्रदान करने का माध्यम मात्र नहीं होती,वह उस समुदाय की सभ्यता व संस्कृति की भी वाहक होती है।आज भारतीय भाषायें लुप्त होती जा रहीं हैं।यदि हमारी भाषायें बचेंगी, तो हमारी संस्कृति भी बचेगी।आज भारतीयता को यदि बचाना है,तो हमें हिंदुस्तान की सभी भाषाओं का न केवल संरक्षण, बल्कि संवर्धन भी करना पड़ेगा। हमारी अकादमी पिछले अनेक वर्षों से,अपने सीमित संसाधनों के बावजूद, यह कार्य लगातार कर रही है।
इस अवसर पर  कई अन्य पुस्तकों का लोकार्पण व  एक कवि-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया,जिसमें दिल्ली,छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से पधारे,अनेक कवि-कवयित्रियों ने कविता पाठ किया,जिनमें शामिल थे-युक्ता राशि, विनोद पाराशर,डॉ संजीव कुमार,डॉ वनिता शर्मा,डॉ कविता कपूर,राजकुमार श्रेष्ठ, विजय कुमार,साकेत चतुर्वेदी, नीरज,गोपाल सिंह, अनुराधा द्विवेदी, नैना देवी,संध्या श्रीवास्तव आदि।
इस अवसर  के कुछ चित्र,यहॉं साझा किये जा रहे हैं।




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