प्रिय मित्रो
सादर ब्लॉगस्ते!
जब कभी एकांत में फुरसत में बैठता हूँ तो बचपन के सुहाने पल याद आ जाते है. वो मस्ती वो अपने नन्हे-मुन्हें दोस्तो के साथ की गई धमा-चौकड़ी भूले नहीं भूलती. आज के स्वार्थी संसार को देखकर मन करता है कि काश फिर से उसी बाल संसार में वापस गुलाटी मारकर पहुँच जाऊं और कुछ पल जी लूँ उस अनमोल जीवन को. यदि किसी ने “बच्चों को भगवान का रूप” कहा है तो ठीक ही कहा है. वास्तव में बच्चों में भगवान की भांति ही सबके लिए प्रेम, भोलापन और अपनापन होता है. चलिए आज मिलते हैं एक ऐसे हिन्दी ब्लॉगर से जिनका संसार बच्चों का संसार है. वह बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं और अपने इसी बाल प्रेम के कारण उन्होंने बाल साहित्य को समर्पित एक ब्लॉग भी बना रखा है.जी हाँ इनका नाम है श्री कैलाश शर्मा.